दंगे की आग
लगें हमारे बोल तो ,मानों चली कटार !
कहें यही जो और तो,कहलाता है प्यार !!
हो नफरत की आंधियाँ ,या दंगे की आग !
जाती पीछे छोड़ कर, सदा बदनुमा दाग !!
रहा पूजता आवरण, ….करता नही विचार।
जिसको आत्मा एक दिन, देगी कहीं उतार।।
रमेश शर्मा
लगें हमारे बोल तो ,मानों चली कटार !
कहें यही जो और तो,कहलाता है प्यार !!
हो नफरत की आंधियाँ ,या दंगे की आग !
जाती पीछे छोड़ कर, सदा बदनुमा दाग !!
रहा पूजता आवरण, ….करता नही विचार।
जिसको आत्मा एक दिन, देगी कहीं उतार।।
रमेश शर्मा