थोड़ा और
सबेरे – सबेरे आहिस्ता से रजाई
अपने शरीर से सरकाया
मन तो बहुत कर रहा था
थोड़ा और नींद लूं
बस थोड़ा और…।
दस मिनट…
नहीं, नहीं।
पाँच मिनट…
नहीं, नहीं।
एक मिनट…
नहीं, नहीं।
बस पचास सेकेंड
नहीं, नहीं।
अब उठना होगा
फुर्र से__
दायित्व है बहुत।
:- वरुण सिंह गौतम