थॉट्स ऑन पाकिस्तान
कोई भी आशिक
अपनी महबूबा से
जुदा नहीं होना चाहता
लेकिन जुदाई
अगर मुकद्दर बन जाए
तो उसकी कोशिश
बस इतनी होती है कि
कम से कम
जुदा होने का तरीका
कुछ बेहतर हो।
ताकि ज़िंदगी के
किसी मोड़ पर
अगर अचानक कभी
मुलाकात हो जाए
तो वो एक-दूसरे से
आंखें मिला सकें।
यही कारण है कि
जब भारत का बंटवारा
और पाकिस्तान का बनना
लगभग तय हो गया तो
डॉ.भीम राव आम्बेडर ने
होने वाले नुक़सान को
कुछ कम करने के लिए
‘थाट्स आन पाकिस्तान’
और ‘पार्टिशन आफ इंडिया’
जैसी किताबें लिखीं!
Shekhar Chandra Mitra