” थैंक्यू …थैंक्यू …थैंक्यू “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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कखनो- कखनो हमरा इ लगैत अछि जे हम उत्तरी ध्रुब वा दक्षिण ध्रुबक वासी त नहि छी ? छह मास सुतब आ छह मास जागब ! सुतल छी त सुतल छी जखन छह मासक बाद जागब तखन देखल जायत ! हम अपन अकाउंट खोलि सोशल मिडिया मे झंडा फहरा देने छिये ! फ्रेंड लिस्ट मे हम सबसें आगू छी ! हम नहि अपन पता ठेकान किनको देवनि ! रहब लुधियाना मे आ कहब पटना रहैत छी ! एहिसं त गूगल कें धन्यवाद् देव, आर किछु हुये वा नहि हुये जन्म दिनक अवसर पर सब मित्र लोकनि कें सूचना द देल जायेत छैक ! आ हम कुम्भकरणक नींद
सं जागि जाईत छी आ …थैंक्यू ..थैंक्यू …थैंक्यू लिखि कें पुनः कोनो ध्रुब मे घुसिया जाइत छी !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड