थैंक्यू जान
Hey…!!
Listen…!!
जब हम जन्म लेते हैं तभी से बंध जाते हैं
रिश्तों की डोर में पर जैसे जैसे हम दुनिया को देखते हैं , समझते हैं. तब असलियत समझ आती है. उन रिश्तों की , सच बोलूं तो इन रिश्तों में किस रिश्ते की उम्र कितनी है ये किसी को नहीं पता क्योंकि ये सामाजिक रिश्ते हैं जिनसे हम जुड़े नहीं वल्कि जोड़े गए हैं…!
इसके अलावा जो रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं या कहूं सहज ही बन जाते हैं. वो अद्भुत जादुई रिश्ते
कुछ ऐसे जादुई रिश्ते भी होते हैं , जिनमें रिश्ते जैसा कुछ भी नही होता, ना साथ , ना रोज मेल-मुलाक़ात, फोन पर बात-चीत घंटो chating..!
सिर्फ होते हैं कुछ नम मीठे अहसास . इनका पता मन की परतों के तले दबा होता है , इनके लिए कोई शब्द नहीं बने होते, और ना ही इन रिश्तों का कोई नाम होता है…!
सच बात तो ये है कि बड़ी लंबी होती है इनकी उम्र ये तब भी साथ होते हैं जब कोई साथ नहीं होता. ये तब भी चुपके से दबे पाँव साथ आ जाते हैं. जब बहुत सारे लोग साथ होते हैं…!
ये कभी आँसू बन कर आंखों को उदास कर जाते हैं ,तो कभी मुस्कान बन कर होठों पर तैर जाते हैं
इन रिश्तों में कोई सेंध नहीं लगा सकता, इनमें कोई चुगली नहीं चलती, इनमें न तो कोई दिखावा होता है न छल, न झूठ होता है न कोई उलाहना …!
सप्तमी के चांद जैसे ये रिश्ते चुपचाप हमारी आत्मा को अपने शीतल आलोक से आप्लावित
करते रहते हैं…!
वो है प्रेम का रिश्ता. जो सहज ही पनपता है ,
इसे किसी नाम या पहचान की जरूरत नहीं होती….
ये बस होता है…..!!
थैंक यू सो मच जान