थाली भोजन की लगी, वधू करे मनुहार ।
थाली भोजन की लगी, वधू करे मनुहार ।
पापड़ चलेगा साथ में , या फिर चले अचार ।
या फिर चले अचार, पिया जी कुछ तो बोलो ।
गुस्से की हर गाँठ , सजन जी मन से खोलो ।
क्षमा करो अपराध , उमर है अपनी बाली ।
देखो कैसे आज , सजाई हमने थाली ।
सुशील सरना / 8-5-24