त्रिभंगी छंद, वीरों को समर्पित
त्रिभंगी छंद
हिय को धधकाए, कदम बढ़ाए, लक्ष्य लगाए ,बढ़े चले
जय भारत मां के, वीर पुत्र ये, गोद में शक्ती के, ये पले
चौहान शिवा के, वंशज है ये, देह शिरा में, शौर्य बहे
थर थर थर थरके , दुश्मन कापे, बांध तिरंगा कफन कहे
हर सागर लांघे, गगन को लांघे, पर्वत लांघे, नही रुके
जब सिंह सरीखे, ये हुंकारे, शत्रु डर के, आह भरे
रज मातृ भूमि का, लगा के टीका, सीमा पर ये, युद्ध लड़े
संहारक ये ही, विनाशक ये ही, महाकाल का, रूप धरे
अन्नपूर्णा गुप्ता ‘ सरगम ‘
मुंबई, महाराष्ट्र