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3 Jun 2024 · 1 min read

त्रिपदिया

त्रिपदिया

जहाँ प्यारा है हरिद्वार है।
अमी धार है शुभ विचार है।
यही ध्येय है मधु अपार है।

जो खोजेगा उसे मिलेगा।
बिन बोये कुछ नहीं फलेगा।
चाहो तो दिल सदा खिलेगा।

सत्व भाव का विद्यालय हो।
चित्त वृत्ति में शिव आलय हो।
जलते जग में हिम आलय हो।

यदि सच्चा आनंद चाहिए।
जीवन प्रिय आसान चाहिए।
तो उत्तम सद्ज्ञान चाहिए।

भोगवाद से कौन सुखी है?
भोगी रोगी बना दुखी है।
त्यागी मानव सूर्यमुखी है।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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