#त्रास
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★ #त्रास ★
सड़कें खेतों को खा गईं
रसोई खाया हास
कैसे कहें किससे कहें
खाया कौन विश्वास
सड़कें खेतों को खा गईं
कैसे कहें किससे कहें . . .
मन रे गा तू खोद गढ़ा
भरकर फिर से खोद
मीठी छुरी चलाए यूँ
लुटने का न हो आभास
मन रे गा तू खोद गढ़ा
कैसे कहें किससे कहें . . .
घर – आँगन हगना – मूतना
बाहर दोष महान
युगों – युगों की मूढ़ता रे,
युगों का अब उपहास
घर – आँगन हगना – मूतना
कैसे कहें किससे कहें . . .
कहाँ जलाएं दीप हम
कहाँ बिछाएं नैन
न्याय – तुला निज हाथ रहे
होवे निज आवास
कहाँ जलाएं दीप हम
कैसे कहें किससे कहें . . .
सपनों का नगर बस रहा
खाकर गाँव हज़ार
धर्म – संस्कृति – प्रेम को
मिला आजीवन वनवास
सपनों का नगर बस रहा
कैसे कहें किससे कहें . . .
वणिक – वेश में दस्युदल
आ रहे यूँ छा रहे
पीछे लूटें संपदा
पहले फोड़ें इतिहास
वणिक – वेश में दस्युदल
कैसे कहें किससे कहें . . ।
अँधियारा युग यूँ बीता
रह – रहकर उठती टीस
नई सुबह सूरज नया
रह – रहकर देता त्रास
अँधियारा युग यूँ बीता
कैसे कहें किससे कहें . . .
अपना मारे छाँव धरे
यही सुनी है रीत
छाँव में पाँव जल उठें
कह दे, जाएं किसके पास
अपना मारे छाँव धरे
कैसे कहें किससे कहें . . .
जग में डंका बज रहा
हो रही जय – जयकार
रोटी बिन बातें सब खोटी
खोटा सब विकास
जग में डंका बज रहा
कैसे कहें किससे कहें . . .
आँख टिकी है तुझी पर
तुझसे ही है आस
तू ही आँखें फेर ले
कैसे बुझे फिर प्यास
रे सजना !
कैसे बुझे फिर प्यास . . . ?
कैसे कहें किससे कहें . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२