त्यौहार
व्योम में इंद्रधनुष साकार
हल्की स्नेहिल धूप बारिश की मंद फुहार
किलकारी बच्ची की, तरूणी का सुंदर श्रृंगार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
अस्पताल से निकला स्वस्थ रोगी
द्वार पर आशीष देता सिद्ध योगी
रथ खींचते जन समूह का
हर्ष भरा सुन जय जयकार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
बागीचे की विशाल क्यारी
विभिन्न पुष्पों की सुवास प्पारी
अरे खिला एक पुष्प
नव जीवन का हुआ संचार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
रोती वृद्ध अबला को पेट भर भोजन
कड़ी धूप में गुब्बारे बेचता, नंगा मासूम बचपन
क्रय कर लिए सारे गुब्बारे,
प्रसन्नता की अश्रु धार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
एक दिव्यांग बाट जोह रहा उस बेटे की
जो अब कभी न आयेगा
आशा में जी रहे उसके मिथ को
आश्रम में देकर आधार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
एक जिद , एक जुनून
22 वर्षों का अथक श्रम
एक अकेला था वो मांझी
दुनिया ताना देती हरदम
उसने सिद्ध किया स्वयं को
वर्षों बाद पाया पुरुस्कार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
होली, दीवाली, ईद, क्रिसमस
परंपरा हर्ष , सजावट, मिष्ठान्न , पकवान
समरसता की यह संस्कृति,
कर लेंगे जब सब स्वीकार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
त्यौहार सामाजिक मिलन है
सुख दुख बांटने का अनुपम क्षण है
सूक्ष्म कला है जीवन जीने की
मन के किसी कोने से निकले यदि ये पुकार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार ।
कितने भाव गुथै हुए है,
कुछ उलझे और बिखरे से
अपने शब्द नई कहानी,
सबकी थी किंतु एक समानी
किसी के अधरों को दी मुस्कान
और बाँटा दिल का प्यार
लो जी मना लिया हमने त्यौहार।
रचयिता
शेखर देशमुख
J 1104, अंतरिक्ष गोल्फ व्यू 2, सेक्टर 78
नोएडा (UP)