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13 May 2024 · 1 min read

त्यौहारों की कहानी

रचना नंबर (12)

त्यौहारों की कहानी

भारत भूमि सबसे न्यारी
त्यौहारों की है फुलवारी
पूरे वर्ष चलते हैं उत्सव
सभी मनाते बारी-बारी

ये मकर संक्रांति आती है
उत्तरायण सूरज होता है
तिल-तिल गर्मी बढ़ जाती
दिन देवों का यह होता है

बसंत पंचमी है जब आती
बासंती बहारें हैं छा जाती
माते शारदा पूजी जाती है
विद्या की देवी ये कहलाती

विषय विकार पीकर के
शिव ज्ञानप्रकाश फैलाते
अमृत बूंदे विश्व है पाता
शिवरात्रि मनाई जाती है

होलिका दहन हम करके
विकारों का नाश करते हैं
रंग प्यार के हम बरसाते
शांति व सद्भाव फैलाते हैं

हनुमान जयंती मनाते हैं
बल शक्ति का वर पाते हैं
नासे रोग हरती सब पीड़ा
हनुमत बलबीरा जो सुमरे

सावन में झूले बन्धते हैं
उत्सव राखी का आता है
बहनों की रक्षा के ख़ातिर
भाई ढेरों प्यार लुटाता है

बुद्धिदाता हैं श्री गजानन
दूरदर्शी शांत व उदारमन
रिद्धि सिद्धि के दायक हैं
कहलाते हैं संकटमोचन

श्रद्धा से श्राद्ध करते हैं
पितरों का मान बढ़ाते हैं
जो हैं हमारे जीवनदाता
फ़र्ज अपना यूं निभाते हैं

नवरात्रि में नव देवियों की
जो प्रतीक नौ शक्तियों की
सुख-सेहत की करें इच्छा
निर्वहन करें परंपराओं की

दशानन दहन भी करते हैं
राम-विजय जश्न मनाते हैं
बुराइयों को जला करके
ये परचम हम फ़हराते हैं

दीपोत्सव ज्योति देता है
अज्ञान अँधेरा मिटाते हैं
सफ़ाई सजावट के द्वारा
उत्साह उमंग यूँ बढ़ाते हैं

स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर

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