त्योहारों का देश
कुण्डलिया
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त्यौहारों का देश है, भारतवर्ष महान।
जहां सनातन धर्म का, होता है गुणगान।
होता है गुणगान, खूब हर्षित होते जन।
प्रभु भक्ति में लीन, रहा करते सबके मन।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, प्रभु के अवतारों का।
अति पावन यह देश, उत्सवों त्यौहारों का।
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मुक्तक
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जीवन को आह्लादित करते, पर्व और त्यौहार।
भक्ति भावना की होती है, जहां सघन बौछार।
हर ऋतु के हैं उत्सव प्यारे, मन को लेते मोह।
घर आंगन है इनसे खिलता, आता खूब निखार।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य