तोहर गाँव कहाँ बा (कविता)भिखारी ठाकुर
गाँव गाँव शहर शहर
तू घुर रहल बाड़ऽ
माटी के माथ पर
लेप चानर जइसे
तू चूम रहल बाड़ऽ
सुन सुन ए बटोही
तोहार गाँव कहाँ बा
फाटल छिटल
दूगो कुरता धोती
आख प चशमा
जन कल्याण के खातीर
झोला झंडा लेके
ठङा मे ठिठुर रहल बाड़ऽ
सुन सुन ए बटोही
तोहार गाँव कहाँ बा
जंगल-झार , वीरन मे
कुसुम फुल के देखिके
गीत गजब के कढ़इलऽ
संस्कृति विस्तार के खातीर
जेठ बैशाख के घाम मे कुद रहल बाड़ऽ
सुन सुन ए बटोही
तोहार गाँव कहाँ बा
मूल रचनाकार- (मौलिक एवं स्वरचित)
© श्रीहर्ष आचार्य(मैथिली)
अनुवाद- सोनू कुमार यादव ( सारण)
भोजपुरी