तोहफे में बंदूक
पापा साल गिरह पर कुछ ना देना
मेरी मर्जी की चीज दिला देना
इक बंदूक दिला देना तोहफे में
दागूं गोली दुश्मन के सीने में
इस देश पे’ जो भी आंख उठाएगा
वह निशाने पर मेरे आ जाएगा
बाज न आएगा जो गद्दारी से
मारूंगा उसको बारी – बारी से
अब तो मन में हमने ये ठाना है
अपने भारत की शान बढ़ाना है
© अरशद रसूल