तेवरी
उसकी बातों में जाल नये
होने हैं खड़े बवाल नये |
बागों को उसकी नज़र लगी
अब फूल न देगी डाल नये |
छलना है उसको और अभी
लेकर पूजा के थाल नये |
बिल्डिंग की खातिर ताल अटा
अब ढूंढ रहा वो ताल नये |
आँखों से आँसू छलक रहे
अब और कहें क्या हाल नये |
+रमेशराज