Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2017 · 1 min read

तेवरी

खुशियों के मंजर छीनेगा
रोजी-रोटी-घर छीनेगा |

है लालच का ये दौर नया
पंछी तक के पर छीनेगा |

हम जीयें सिर्फ सवालों में
इस खातिर उत्तर छीनेगा |

वो हमको भी गद्दार बता
कबिरा के आखर छीनेगा |

धरती पर उसका कब्जा है
अब नभ से जलधर छीनेगा |

उसको आक्रोश बुरा लगता
शब्दों से पत्थर छीनेगा |
+रमेशराज

Language: Hindi
1 Like · 664 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
Dr Archana Gupta
*दिल दरिया बहुत अमीर है*
*दिल दरिया बहुत अमीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
राज्याभिषेक
राज्याभिषेक
Paras Nath Jha
फूल   सारे   दहकते  हैं।
फूल सारे दहकते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
क्या ?
क्या ?
Dinesh Kumar Gangwar
राना लिधौरी के बुंदेली दोहे बिषय-खिलकट (झिक्की)
राना लिधौरी के बुंदेली दोहे बिषय-खिलकट (झिक्की)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आदर्शों के द्वंद
आदर्शों के द्वंद
Kaushal Kishor Bhatt
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
Mukesh Kumar Sonkar
जिनको तुम जीवन में सफल देखते हो, ये वही लोग है जो प्रेम के ब
जिनको तुम जीवन में सफल देखते हो, ये वही लोग है जो प्रेम के ब
पूर्वार्थ
आनेवाला अगला पल कौन सा ग़म दे जाए...
आनेवाला अगला पल कौन सा ग़म दे जाए...
Ajit Kumar "Karn"
ପରିଚୟ ଦାତା
ପରିଚୟ ଦାତା
Bidyadhar Mantry
गीत
गीत
Shiva Awasthi
4913.*पूर्णिका*
4913.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जीता जग सारा मैंने
जीता जग सारा मैंने
Suryakant Dwivedi
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
Phool gufran
नई नसल की फसल
नई नसल की फसल
विजय कुमार अग्रवाल
अच्छा लगना
अच्छा लगना
Madhu Shah
" वक्त "
Dr. Kishan tandon kranti
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
कवि रमेशराज
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
जगदीश शर्मा सहज
सत्य होता सामने
सत्य होता सामने
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
Nitesh Chauhan
कर लो कर्म अभी
कर लो कर्म अभी
Sonam Puneet Dubey
वेलेंटाइन डे समन्दर के बीच और प्यार करने की खोज के स्थान को
वेलेंटाइन डे समन्दर के बीच और प्यार करने की खोज के स्थान को
Rj Anand Prajapati
मुक्ति
मुक्ति
Amrita Shukla
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
Neelam Sharma
Loading...