#तेवरी
#तेवरी
■घर तो आ जा परदेसी।।
【प्रणय प्रभात】
– डींग मारते थे कैसी।
हो गइ ना ऐसी-तैसी??
– उस को वैसा मिलता है।
जिसकी हो नीयत जैसी।।
– दिए सियासत ने सबको।
अपने-अपने औवेसी।।
– पांव बरस का याराना।
घर तो आ जा परदेसी।।
– दिल की ठंडक के आगे।
क्या पंखे कूलर ऐसी??
– इक चुनाव ने कर डाली।
सबकी बोली कौवे सी।।
– कान लगा दीवार खड़ी।
बात न कर ऐसी-वैसी।।