तेरे वजूद को।
चाहतों के समंदर में,
डूबा रहता हूं!!!
मैं लहरों सा,
बहता रहता हूं!!!
जबसे इश्क हुआ है तुमसे,
कोई खबर ना खुद की रखता हूं!!!
मैं बस,
खोया खोया सा रहता हूं!!!
बना कर तस्वीह तुझको,
अपने गले में पहने रहता हूं!!!
इसके हर दाने पर तेरा नाम लिखा है,
जिसको मैं सुबह शाम पढ़ा करता हूं!!!
तू सांस बनके,
मुझमें समा गया है,
तेरे वजूद को मैं खुद में,
बनके तू जिया करता हूं!!!
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️