“तेरे बिन “
“तेरे बिन”
तेरे बिन कैसे जीता हूं ?कहना- सुनना छोड़ दिया।
तुमने मुंह जब से फेरा है , हंसना- रोना छोड़ दिया।
कहने वाले यह कहते हैं ,मैं गुमसुम अब रहता हूं।
तेरी गली में जब से मैंने ,आना – जाना छोड़ दिया।
अब भी वही नशा , मस्ती तेरी नजरों का है मुझ पर।
कसम खुदा की मैंने मय को, हाथ लगाना छोड़ दिया।
अंधियारा अच्छा लगता है ,तेरे बिन तनहाई में।
तेरे बिन मंदिर में घर में ,शमा जलाना छोड़ दिया।
मुझको जग ये कहे “बावरा”, तुम कहते तो अच्छा था।
हंसकर सबकी सुन लेता हूं, मैंने कहना छोड़ दिया।
आर के भट्ट “बावरा”
12-01-2023