तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन जैसे, वज़ूद मेरा ग़ुम हो जाता है
करता हूँ, गुफ़्तगू मैं जब भी तस्वीरों से तेरी
फ़क़त खामोशी का एक आशियाना रह जाता है
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन जैसे, वज़ूद मेरा ग़ुम हो जाता है
करता हूँ, गुफ़्तगू मैं जब भी तस्वीरों से तेरी
फ़क़त खामोशी का एक आशियाना रह जाता है