तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी
तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी
इंतेज़ार के तन्हा सफर में तू छल गयी
इंतेज़ार के ज़िंदा लम्हों में अब शेष मायूसी है
तेरे इंतेज़ार में ज़िन्दगी श्मशान बन गयी
भूपेंद्र रावत
6।05।2020
तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी
इंतेज़ार के तन्हा सफर में तू छल गयी
इंतेज़ार के ज़िंदा लम्हों में अब शेष मायूसी है
तेरे इंतेज़ार में ज़िन्दगी श्मशान बन गयी
भूपेंद्र रावत
6।05।2020