Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2020 · 1 min read

तेरे दीदार को दुनिया की सब नजरें तरसती हैं

तू ही बहती हवाओं में , तू कलियों में हंसती है
तू कोमल फूल के जैसी, महक में उनके बसती है
तुम्हारा रंग सोने सा है और है रुप चांदी सा
तेरे दीदार को दुनिया की सब नजरें तरसती हैं

जिधर से तू गुजरती है उधर आतीं बहारें सब
सबकुछ छोड़कर के बस तुझको ही निहारें सब
तुझे भगवान ने ऐसा बनाया है कि लगता है
तुम्हारे सामने फीके हैं दुनिया के नजारे सब
जिधर तू देख ले उस ओर बस खुशियां बरसतीं हैं
तेरे दीदार को दुनिया की सब नजरें तरसती हैं

तुम्हारी झील सी आंखें , तुम्हारी बादलों से बाल
बड़ी मुस्कान मनमोहक, गुलाबों से गुलाबी गाल
तुम्हारे बोल लगतें हैं किसी संगीत के मानिंद
तुम चलती हो तो लगता है बजता है कोई सुर-ताल
तुम्हारे साथ ही दुनिया की सारी चीजें चलती हैं
तेरे दीदार को दुनिया की सब नजरें तरसती हैं

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Comments · 273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Loading...