तेरे दिल तक पहुंचते , मेरे सब अल्फाज।
तेरे दिल तक पहुंचते , मेरे सब अल्फाज।
कलम पकड़ने में मुझे , होता है शुचि नाज।।
होता है शुचि नाज , बात है अहसासों की ।
इक दूजे की डोर , जुड़ी है चिर सांसों की ।
कलम हुई प्रिय धन्य , लिखा जो मैंने अब तक ।
करता रहूँ प्रयास , पहुँच हो तेरे दिल तक।।
सतीश पाण्डेय