तेरे ख़्वाब
जल्दी सो जाता हूँ अक्सर, तेरे ख़्वाबों की आस में!
फिर सारी रात गुज़र जाती है…….बैठे बैठे पास में!
इक पल में ही वाद हो हुए,
अगले पल विवाद हो हुए!
आँखों ही आँखों में समझो,
सारे ही संवाद हो हुए!
वक़्त गुजरता है जैसे, हँसी खेल उल्लास में!
त्यों सारी रात गुज़र जाती है बैठे बैठे पास मे!
हँसकर देख लिया जो तुमने,
मुरझाए से फ़ूल खिल गये!
पत्ता-पत्ता जोड़ लिया और,
गीत को अशआर मिल गये!
जैसे राधा-कृष्ण समाये, इक दूजे की साँस में!
त्यों सारी रात गुज़र जाती है बैठे-बैठे पास में!
राकेश!