तेरी याद का मौसम आया सै
फेर लौट कै सामण आया सै
तेरी याद्दा का मौसम लाया सै
फेर मिलै ना मिलै उन राहों पे
हमसे यो बतलावण आया सै
मिस्री के जैसा मीठा बरसेगा
हम- तुम, तन्हा तरसैगे फेर सै
इबकै ये सामण भी अंगड़ाई लेरा
मिलन- जुदाई लेकर मौसम आया सै
इत- उत पगली सी डोलूं बाग मैं
प्यासी जोगण जैसे सामण आया सै
रात बीती सारी आख्यामं बादल बरसे
मिलन की आस ले मन तरसे आया सै
इबकै सामण यूँ ही बीत जाग्गा
आख्यामं झरझर पानी बहवै सै
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा