तेरी यादों के आईने को
तेरी यादों के आईने को
टुकड़े टुकड़े के सोचा
छूट जाऊंगा
यादों के जाल से
कम्बख़्त
हर टुकड़े में
तेरा अक्स नज़र आया
अतुल “कृष्ण”
तेरी यादों के आईने को
टुकड़े टुकड़े के सोचा
छूट जाऊंगा
यादों के जाल से
कम्बख़्त
हर टुकड़े में
तेरा अक्स नज़र आया
अतुल “कृष्ण”