तेरी यादें मुझे सोने नहीं देती
तेरी यादें मुझे सोने नहीं देती,
ये मरने न देती न जीने देती।
कैसे पाऊं इनसे छुटकारा मै,
ये भूलकर भी भूलने नही देती।।
तेरी यादें मुझे क्यों तड़पाती रहती ?
हर पल मुझे क्यों सताती रहती ?
हो सके तो इन यादों को बुला लो,
ये मुझसे क्यों बतयाती है रहती ?
तेरा नाम लिखकर मै मिटा देती हूं,
मिटाकर फिर क्यों मै लिख देती हूं।
ये सिलसिला चलता रहता है सारे दिन,
अब तो तुम्हारा नाम दिल पर लिख देती हूं।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम