तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/697b836eb0bea9039bbf34ba534f8745_955696335f73dd4c72e72e01a2dc5f53_600.jpg)
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तुझे मेले में सब देखेंगे मेला कौन देखेगा
तमन्ना की जगह लाशें तमन्ना कौन देखेगा
अब अपने जीते जी अपना जनाज़ा कौन देखेगा
जहाँ होती रही है मुद्दतों प्यार की बारिश
वहाँ पर अब ख़मोशी का बसेरा कौन देखेगा
बहर सूरत तुम्हारे हक़ में दुनिया फ़ैसला देगी
तुम्हें देखेंगे सब, जा और बेजा कौन देखेगा
जरा रूकिए अभी जाते हैं क्यों शादी की महफ़िल से
हसीं रात आपने देखी सवेरा कौन देखेगा
न ठप हो जाए तेरा कारोबारे मैकदा साक़ी
तेरी आँखों के होते जामों मीना कौन देखेगा
बहुत सुन्दर तेरा संसार ऐ संसार के मालिक
मगर जब सामने तू है तो सपना कौन देखेगा
अदाए मस्त से बेख़ुद न कीजे सारी महफ़िल को
तमाशाई न होंगे तो तमाशा कौन देखेगा
मुझे बाज़ार की ऊँचाई-नीचाई से क्या मतलब
तेरे सौदे में सस्ता और महँगा कौन देखेगा
अगर दीदार का जलवा दीवाने गिरा देंगे
तो फिर सूली पे चढ़ के तेरा जल्वा कौन देखेगा
अगर बादे मुखालिफ़ चल गयी तो मैं भी चल दूंगा
चराग़े आरज़ू को झिलमिलाता कौन देखेगा
तुम्हारी बात की ताईद करता हूँ मगर कोई न देखा
अगर तुमको ही सब देखें तो दुनिया कौन देखेगा
’’ऋतुराज वर्मा आता है आने दो सफेदी अपने बालों पर
जवानी तुमने देखी है बुढ़ापा कौन देखेगा
ऋतुराज वर्मा