तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
मन में भाव आते हैं तो मै लिखता हूं।
दिल में दर्द होता है तो मै लिखता हूं।।
किसी का कुछ न लेता हूं न मै देता हूं।
केवल अपने उदगारो को मैं लिखता हूं।।
दीवार के सहारे खड़ा हूं तेरा क्या लेता हूं।
केवल अपने दिल की तपिश बुझा लेता हूं।।
तू प्यार का पानी पिला न पिला मुझको।
अपने प्यार की प्यास तो मै बुझा लेता हूं।।
ये जिंदगी तेरे हवाले कर दी है मैंने।
सब कुछ लुटाकर तुझे पाया है मैंने।।
ये एहसान मान न मान तू मेरा अब।
तू कुछ भी कर,तुझ पर छोड़ा है मैंने।।
तेरी गली से निकलते है तेरा क्या लेते है।
बस अपने दिल को ही समझा लेते है।।
तू घर से निकल न निकल देखने के लिए।
तेरे घर को देखकर ही तेरा दीदार कर लेते है।।
दिल की दवा लेने निकले हैं तेरा क्या लेते है।
दिल के दर्द को बस यूंही हम छिपा लेते है।।
तू दर्दे दिल दवा दे न दे हमे कोई बात नही।
तेरी गली की हवा को ही हम दवा मान लेते है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम