तेरा साथ मुझको गवारा नहीं है।
गज़ल
122…..122…..122…..122
तेरा साथ मुझको गवारा नहीं है।
जो वादा था तूने निभाया नहीं है।
था पेट्रोल डीजल सिलेंडर पे काबू,
आवारा हुए रोक पाया नहीं है।
गुज़र हो रही है गरीबों की ऐसे,
कि दो वक्त का रोज खाना नहीं है।
कि नेकी करो और दरिया में डालो,
भलाई का अब ये जमाना नहीं है।
बिना नौकरी के जिएं कैसे बच्चे,
गड़ा पास कोई खजाना नहीं है।
दिये जख्म तूने मुझे इतने सारे,
कोई दर्द लगता पुराना नहीं है।
कभी अपने प्रेमी को मत देना धोका,
कहीं फिर तेरा भी ठिकाना नहीं है।
…….,✍️ प्रेमी