तेरा मेरा साथ
जब तक रहे चांद सूरज गगन में,
साथी तेरा हाथ थाम कर मैं चलूं।
साथ न छूटे ये जन्मों जन्म तक,
बांट सुख दुःख संग चलती रहूं।
चांद के जैसी उम्र हो प्यार की,
जुड़ी एहसासों से ये धडकन रहे।
रूह हो एक दोनों की तन से जुदा ,
मन में न इस जमाने की दुविधा रहे।
मुस्कान मेरी तेरे होंठों पर सजे,
गम सारे धो दूं मेरे नयनों से तेरे।
तेरी हथेली पर चमके भाग्य मेंरा,
मेरे माथे पर सौभाग्य तेरा ही रहे।
कदम से कदम हम दोनों के मिले,
राह संग जीवन की मिलकर चलें।
चाहतों के मंजर इस तरह तय करें,
समुंद्र की भी गहराई को माप लें।
स्वरचित एवम मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश