तेरा मेरा रिश्ता
मुबारक हो तुमको, मोहब्बत का किस्सा
बनाया था तूने, मुझे दिल का हिस्सा
वो गुजरा जमाना, महज इक फ़साना
मगर अब ये दर्द-ए-दिल है आहिस्ता
जो मेरा नाम आया, था तेरे सहारे
हँस हँस के हमने, हैं दिन ये गुजारे
मगर अब तो सूनापन, है हर गली में
हैं बिन तेरे सारे, अधूरे नज़ारे
अगर तुम जो आओ, यूँ लौटकर तो
ये रंगीन फिजायें, सजा देंगी रस्ता
वो गुजरा जमाना, महज इक फ़साना
मगर अब ये दर्द-ए-दिल है आहिस्ता
जिंदगी है मुकम्मल, तेरा साथ हो तो
है सुकून हर पल, जो तू पास हो तो
खयालों में मेरे, तुम यूँ चली आना
जब अमावस की काली, घनी रात हो तो
मैं जिन्दा यहाँ, जो तू साँसें वहाँ ले
है क्या कहानी, क्या है ये किस्सा?
कुछ इस कदर बनाया, मुझे दिल का हिस्सा
वो गुजरा जमाना, महज इक फ़साना
मगर अब ये दर्द-ए-दिल है आहिस्ता
… भंडारी लोकेश ✍🏻