**तेरा मेरा रिश्ता**
डा ० अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
**तेरा मेरा रिश्ता**
तुझ से मिला कभी नही
तुझसे गिला कभी नही
तुझे देखता रहा चाहता भी रहा
तेरा हुआ कभी नही
तेरी पसंद का ख्याल था
अपनी पसंद की चाह में
किसी का मैं हुआ नहीं
ये प्यार था कि कुछ और था
ये प्यार था कि कुछ और था
ये तो कभी सोचा ही नहीं
तुझ से मिला कभी नही
तुझसे गिला कभी नही
तुझे देखता रहा चाहता भी रहा
तेरा हुआ कभी नही
लाखों मिले मिलते रहे
अच्छे भी लगे अच्छे भी थे
बुरा तो सिर्फ मैं ही था
तेरा न जो कभी हो सका
न कह सका न बता सका
तेरी पसंद का ख्याल था
अपनी पसंद की चाह में
किसी का मैं हुआ नहीं
ये प्यार था कि कुछ और था
ये प्यार था कि कुछ और था
ये तो कभी सोचा ही नहीं
तुने कभी पूंछा नही
मैने कभी कहा नहीं
अपनी अपनी पसंद की बात थी
न कह सका न बता सका
तेरी पसंद का ख्याल था
अपनी पसंद की चाह में
किसी का मैं हुआ नहीं
तुझ से मिला कभी नही
तुझसे गिला कभी नही
तुझे देखता रहा चाहता भी रहा
तेरा हुआ कभी नही
तेरी पसंद का ख्याल था