तेरा मेरा…..एक मोह
शीर्षक – तेरा मेरा
**********”**********
आज जीवन में हम सब कहानी संदेश सोशल मीडिया पर पढ़ते ही रहते हैं और जीवन का सर ही एक कहानी होता है क्योंकि जीवन में रंगमंच पर हम सब किरदार निभाते हैं कल्पना और अपनी बातों को शब्दों में लिखते हैं वही कहानी कहलाती है बस कुछ शब्द कहानी के रूप में हमारे मन को छू जाते हैं और हमें पसंद आती है हमारे जीवन घटनाओं से कहीं कहानी की पहली एक समान रखते हैं वही कहानी पसंद बन जाती है शब्द और रचनाएं सभी की अच्छी होती है बस हम हमारी सोच ही एक अच्छी और पसंद होती है ऐसे ही एक गांव की कहानी है
एक परिवार रहता था उसी परिवार के साथ-साथ एक और परिवार भी रहता था दोनों परिवारों में बहुत मित्रता थी परंतु सांसारिक जीवन में परिवार के बीच में जब जवान बच्चे होते हैं तो कुछ न कुछ तो तेरा मेरा होता ही है और यह सांसारिक नियम है कि तेरा मेरा जीवन का एक सच है हम कितना भी सोच ले की जीवन में कुछ साथ नहीं जाता फिर भी हमारे मन भाव मोह और आकर्षण और लालच तेरा मेरा मन में ला ही देता है।
आज कल सभी के मन भावों मैं मैं तेरा मेरा जो हम सोचते हैं वह ऐसा होता नहीं है क्योंकि जीवन में तेरा मेरा कुछ भी नहीं होता है यह तो हमारी एक केवल सोच होती है ऐसा ही दोनों परिवारों में दोनों परिवारों की दो लड़कियां थी रानी और मीना रानी और मीना में अक्सर तेरा मेरा होता रहता था क्योंकि रानी कम समझदार थी मीणा थोड़ी समझदार थी परंतु जब दोनों को गुस्सा आता था तब तेरा मेरा होता रहता था और तेरा मेरा भी क्या होता था दोनों के खिलौने एक से एक सुंदर थे और दोनों ही अच्छे परिवार के कारण अच्छे-अच्छे खिलौने लिया करती थी और दोनों के परिवार दोनों को एक साथ खेलने के लिए साथ-साथ रखते थे परंतु एक दूसरे के खिलौने को देखकर पहले खेलते थे फिर दोनों रानी और मीणा खेलते खेलते ही लड़ने लगते थे और बस वही खिलौने के साथ-साथ तेरा और मेरा बटवारा हो जाता था ।
इसी कहानी से यह प्रेरणा मिलती है बच्चों के साथ-साथ हम भी जीवन में यह प्रेरणा दें कि बच्चे तो होते हैं बच्चे हम सब बड़े होने के साथ-साथ समझदार भी होते हैं फिर भी हमारे जीवन में तेरा मेरा होता है जबकि जीवन की रंग मंच पर हमारे किरदार के साथ-साथ कुछ साथ नहीं जाता है फिर भी हमारे मन और मोह को हम नहीं छोड़ पाते हैं बस इस जीवन को अगर हमने स्वार्थ भाव संदेश के साथ जिए तो यह संसार बहुत सुंदर अच्छा है हम केवल जीवन में अपने कर्म अपने भाव से मतलब रखें और जीवन में लालच या फरेब न रखें और सभी को मानवता के साथ एक सा व्यवहार और आचरण रखें न कि तेरा मेरा मन भाव रखें इस कहानी का अर्थ केवल इतना सा है कि हमारे जीवन में तेरा मेरा कुछ भी नहीं होता है बस एक मन की सोच होती है जो की मन की चंचलता और समझदारी का कहीं ना कहीं सोचा रहता है आओ हम सब मिलकर अपने जीवन में एक मानवता और निस्वार्थ भाव जीवन जीते हैं एक दूसरे से मिलकर और एक दूसरे के सहयोग करते हैं बस ऐसा अगर हर मानव दिल और मन भाव में सोच ले तो यह संसार और हम मानवता के साथ जी सकते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र