Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2023 · 1 min read

*तू ही पूजा तू ही खुदा*

तू ही पूजा तू ही खुदा
********************

तेरी हर कातिल है अदा।
सारे जग से तुम हो जुदा।

खोया रहता दिन – रात हूँ,
तू ही पूजा तू ही खुदा।

मय आँखों से पीते रहे,
मुखड़ा जैसे हो महकदा।

तुझ से मेरा महके चमन,
फूलों सा खिलता हूँ सदा।

फीकी फीकी सी चाँदनी,
भोली सूरत पर हूँ फ़िदा।

सजना संवरना आप का,
मन को भाता है कायदा।

मनसीरत राहों में खड़ा,
घाटा हो या फिर फ़ायदा।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
86 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बस अणु भर मैं
बस अणु भर मैं
Atul "Krishn"
बहकते हैं
बहकते हैं
हिमांशु Kulshrestha
हमारी योग्यता पर सवाल क्यो १
हमारी योग्यता पर सवाल क्यो १
भरत कुमार सोलंकी
छात्रों का विरोध स्वर
छात्रों का विरोध स्वर
Rj Anand Prajapati
वो अनजाना शहर
वो अनजाना शहर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*
*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*
Ravi Prakash
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
Harminder Kaur
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
शेखर सिंह
3390⚘ *पूर्णिका* ⚘
3390⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
न जाने क्या ज़माना चाहता है
न जाने क्या ज़माना चाहता है
Dr. Alpana Suhasini
तमाम रातें तकतें बीती
तमाम रातें तकतें बीती
Suryakant Dwivedi
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
Ravikesh Jha
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
शिवम "सहज"
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
Yogendra Chaturwedi
।।
।।
*प्रणय*
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
sushil sarna
मेरी ख़्वाहिशों में बहुत दम है
मेरी ख़्वाहिशों में बहुत दम है
Mamta Singh Devaa
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
दिखावटी लिबास है
दिखावटी लिबास है
Dr Archana Gupta
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुछ औरतें खा जाती हैं, दूसरी औरतों के अस्तित्व । उनके सपने,
कुछ औरतें खा जाती हैं, दूसरी औरतों के अस्तित्व । उनके सपने,
पूर्वार्थ
ख़त्म होने जैसा
ख़त्म होने जैसा
Sangeeta Beniwal
ज़िंदगी देख
ज़िंदगी देख
Dr fauzia Naseem shad
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
DrLakshman Jha Parimal
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
gurudeenverma198
श्री राम जय राम।
श्री राम जय राम।
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
"इनाम"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...