तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
तू सुन ले, मेरे दिल की पुकार को।
ऐसे ना भूल, मेरे दिल के प्यार को।।
तू फैसला यह अपना बदल लें।
नहीं छोड़कर जा, मेरे संसार को।।
तू सुन ले ———————-।।
मुरझा गया चमन, तुम्हारे बिना।
बुझ गया चिराग, तुम्हारे बिना।।
नहीं तू रुला ऐसे, इन फूलों को।
बेचैन यह दिल है, तेरे दीदार को।।
तू सुन ले ———————-।।
तुम्हारे लिए ही घर , मैंने बनवाया।
तुम्हारे लिए सबको, मैं छोड़ आया।।
वीरान मत कर तू , अब इस घर को।
तू तोड़ दे, अपने शक की दीवार को।।
तू सुन ले ———————-।।
मेरे खतों को तू , पढ़ना जरा।
पढ़कर उन्हें तू , सोचना जरा।।
मत तू जुल्म कर, मेरे दिल पर।
आजा तू मिलने, मेरे द्वार को।।
तू सुन ले ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)