तू लड़की है या लकड़ी कोई?
तू लड़की है या लकड़ी कोई
सदियों से चूल्हे में जारी जाए
न तो प्रतिरोध-न ही प्रतिकार
दिन-रात रो-रोके गुज़ारी जाए…
(१)
खूंटे में बंधी हुई गाय से भी
दीन-हीन दशा में रहती आई
फिर भी यह निर्मम उपहास
झूठ-मूठ में देवी पुकारी जाए…
(२)
अंधे-बहरों की भरी सभा में
लाचार पांचाली की तरह
अपने ही लोगों के हाथों
चुपचाप जुए में हारी जाए…
(३)
अपने मन,वचन और कर्म से
बिल्कुल पावन होने पर भी
क्यों लोकलाज के नाम पर
जीते जी चिता में उतारी जाए…
(४)
वीराने से लेकर चौराहे तक
सुरक्षा नहीं है कहीं तुझे
बिना किसी अपराध के ही
बार-बार गर्भ में मारी जाए…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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