तू मुझसे अनजान थी…
कुछ कहने का साथी तुझसे,
दिल में मेरे खयाल था।
तू मुझसे अनजान थी,
मैं तुझसे अनजान था,
कुछ कहने का साथी तुझसे,
दिल में मेरे खयाल था।
कहता भी मैं कुछ-कुछ तुझसे,
पर मेरी मजबूरी थी,
एक सहेली साथ थी तेरे,
और पूरा परिवार था
कुछ कहने का साथी तुझसे,
दिल में मेरे खयाल था।