तू भी मैं और मैं भी तू
मैं
हर जगह बसता हूं
तुझ में भी
तेरे दिल में भी।
संसार के कण-कण में
हर
जीव और निर्जीव
के तन में।
मैं
उन आंखों में भी बसता हूं
जिनसे तुम देखते हो
अंदर भी
और
बाहर भी।
मैं
परमात्मा हूं
प्रभु हूं
ईश हूं।
ईश्वर भी मैं ही हूं….
अल्लाह भी मैं ही हूं।
तू भी मैं ही हूं
और मैं ही तू हूं।
पहचान मुझे
तू जान मुझे…..
मुझमें खुद को पायेगा
और
तू खुद भी
मुझसा हो जायेगा।
मुझसा ही नहीं
मैं ही हो जायेगा।
अद्वैत की है धारना यही
एक ही एक
दो नहीं।
तू भी मैं
औ मैं भी तू….
बस यही है सही।