तू परिंदा है…
तू परिंदा है मर्ज़ी जहां तक तू उड़।
तेरी मर्ज़ी पड़े उसजहाँ तक तू उड़।
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तुझको उड़ने से कोई नही रोकता।
तेरा कमजोर मन ही तुझे टोकता।
होंसला अपने अंदर जगा तो सही,
पंख तेरे है उनको फैला के तू उड़।
तू परिंदा है ………….।
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भूल करना नही सोचने में तू यह।
देगा कोई सहारा फिर उड़ेगा तू यह।
छोड़ दे नीड पल दो ही पल के लिये।
एक डाली से उड़ कर दूसरी तक तू उड़।
तू परिंदा है ………।
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याद रखना मिलेगा शज़र भी नहीं।
बैठ जिस पर तु जाए जगह भी नही।
जितनी दम है भरोसा तू उस पर ही कर।
बिन सहारा लिये दूर ही तक तू उड़।
तू परिंदा है मर्ज़ी जहाँ तक तू उड़।
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कौन उड़ने का हूनर सिखाये तुझे।
पंख कुदरत ने खुद ही दिए है तुझे।
सीख खुद की उड़ाने सहारे बिना,
अपने दम दूर की हद ही तक तू उड़।
तू परिंदा है मर्ज़ी जहां तक तू उड़।
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चार दिन चौन्च भर दाना देगी तुझे।
बाद माँ भी बिगाना करेगी तुझे।
पेट भरना अगर है ज़रूरी तेरा।
मेहनत करने की जद वहाँ तक तू उड़।
तू परिंदा …………।
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देख डरना नही तू जो भूखा रहे।
काम करना हो जो मर्ज़ी दुनियाँ कहे।
एक दिन कामयाबी मिलेगी तुझे,
राम दिल मे बसा बस यहां तक तू उड़।
तू परिंदा है…………।
**कलम घिसाई*