तू कहता क्यों नहीं
रहता है दूर तुमसे, लेकिन
दिल के करीब हो गया है
तू जानता नहीं है
उसे भी इश्क हो गया है
देखता है वो भी तुमको
तेरे ख्वाबों में खो गया है
तू समझता ही नहीं
वो ज़माने से डर गया है
कह रही है आंखें उसकी
जिनमें तू खो गया है
तू जाने क्यों सुनता नहीं
ये तुझको क्या हो गया है
शर्मो हया का लिहाज़ है उसको
लेकिन अब वक्त आ गया है
तू कहता क्यों नहीं
तेरा दिल भी उस पर आ गया है
होगी उसको भी खुशी बहुत
अब उसका भी सब्र टूट गया है
जाकर उससे कहता क्यों नहीं
जो तेरे प्यार में अब टूट गया है
महसूस करोगे धड़कनों को जब
मालूम चलेगा तू क्या पा गया है
उससे मिलता क्यों नहीं
जो मन ही मन अब तेरा गया है