तू एक बार लडका बनकर देख
1.लाड प्यार से ज्यादा जिम्मेदारियो का पाठ पढ़ा जाता है कितने मुश्किल से कमते है पेसे यही बचपन से सिखा जाता है
2.तू लड़का है किसी भी हाल में तू रो नहीं सकता खिलाना
टुटे फिर दिल तू प्लके भीगो नहीं सकता
3.की एक के दिल का नूर है तू किसी की मांग का सिंदूर है तू कोन स्मझेगा तुझे किस को बटायेगा दिन भर के थकन से चकना चूर है तू
4.की तू तू मर्द है रोके दीखा नहीं सकता कितना तू भी टूटा हो दिल तू आशु बहा नहीं सकता तू दिन रात शुभ शाम खुआइशो की भट्टी में जलकर देख तू एक बार लडका बनके देख
5.क्या तू देख पाएगा इस उमर म मा बाप को काम करते हुए या देख पाएगा बीबी बच्चे को अभव म पलते हुए
6.तुझे कृष्ण बन प्रेम का राग सुनाना पड़ेगा मन माई बसी हो राधा लेकिन रुक्मादी से ब्या रचना पढेगा तू अपनी ही इच्छाओ पर आदर्श का चोला पहन कर देख तू एक बार लडका बनकर तो देख
8.तुझे हर घाव हर जाखम चुपाना पडेगा कुछ भी हो तुझे दुनिया के सामने मुस्कुराना होगा कितना दर्द है दिल में क्या पर हाथ रखकर तो देख तू एक बार लडका बनकर
देख
.. writing by .. Abhishek Upadhyay