तूने किया हलाल
आजादी क्या है मिली,पूछ रहा वह लाल।
मटका ही तो छू दिया, तूने किया हलाल।।
तूने किया हलाल, न सोचा मैं भी मानव।
गवां गुरु का मान, बने क्यूँ निष्ठुर दानव।
जूझ रही ग़र आज, देश की इक आबादी।
मिटा सके ना जाति, भला कैसी आजादी।।
“दलित छात्र इन्द्र कुमार मेघवाल को समर्पित”
✍️जटाशंकर”जटा”