तूँ मुझमें समाया है
मैं तेरी परछाई हूँ और तूँ मेरा साया है
तुमसे है मेरा जहाँ तूँ मुझमें समाया है
तेरे बगैर अब ये जीवन अधूरा है मेरा
मेरे सांसों में तुम्ही तूँ मुझमें समाया है
तेरे बगैर ये दिन सूना है रात भी सूनी
तुम्ही हो चैन मेरा तूँ मुझमें समाया है
तेरे बगैर जाऊँ कहाँ राह अंजान मेरी
मेरी मंजिल तुम्ही तूँ मुझमें समाया है
तेरे बगैर मेरी गज़ल अधूरी है ‘विनोद’
मेरी मोहब्बत तुम तूँ मुझमें समाया है
स्वरचित
( विनोद चौहान )