तुलसी महिमा
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तुलसी भारत देश में, पूजनीय कहलाय।
युग-युग से तुलसी यहाँ, देवी मानी जाय।। 1
तुलसी हिंदू धर्म में, जग जननी कहलाय।
आँगन की शोभा बनी, घर-घर पूजी जाय।। 2
तुलसी का नभ है पिता, धरती मात कहाय।
शालिग्राम भगवान ने, उनसे ब्याह रचाय। 3
पौधा तुलसी का सदा, आँगन बीच लगाय।
अपनी वास सुवास से, घर-आँगन महकाय।। 4
बिन तुलसी के पात के, प्रभु को भोग न भाय।
राम भक्त हनुमान तो, भूखे ही रह जाय।। 5
तुलसी बन संजीवनी, हर दुख दर्द भगाय।
स्नेह, शांति, वैभव सदा, जड़ में रखे छुपाय।। 6
तुलसी औषधीय रहा, तन को रखे निरोग।
बीज, तना, जड़, पत्तियाँ, सब आये उपयोग।। 7
श्रद्धा ,अर्ध्य व नेह का, हर चोट का उपाय।
तुलसी रंगत में दिखे, मुझको मेरी माय।। 8
तुलसी में हर शाम को, दीपक रखें जलाय।
बनी रहे देवी कृपा , सुख संपति घर आय।। 9
तुलसी घर-आँगन बसे, पावन वैद्य समान।
सस्ती, उपयोगी सहज, ये गुणकारी खान।। 10
शिव को शंख गणेश को, तुलसी नहीं चढ़ाय।
ऐसा जो कोई करे, घर अमंगल बुलाय।। 11
जन्म से मौत तक हमें, तुलसी आती काम।
वृंदा देवी को सदा , नित उठ करें प्रणाम।। 1 2
????—लक्ष्मी सिंह??