तुम
आलमारी में रखी किसी पुरानी तस्वीर की तरह,
पहले कभी खोयी पर अब मिल क्यूं नहीं जाती,
तुम मेरे ज़हन की भूली बिसरी यादों की तरह,
लब पर मुस्कान बनकर खिल क्यूं नहीं जाती
आलमारी में रखी किसी पुरानी तस्वीर की तरह,
पहले कभी खोयी पर अब मिल क्यूं नहीं जाती,
तुम मेरे ज़हन की भूली बिसरी यादों की तरह,
लब पर मुस्कान बनकर खिल क्यूं नहीं जाती