Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2022 · 1 min read

तुम हो न

🙏
!!श्रीं !!
सुप्रभात ! जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🦚
तुम हो न
०००००००
हमारे साथ में तू है हमें किस बात की चिन्ता ,
नहीं अब धूप की चिन्ता, नहीं है रात की चिन्ता ,
कभी दामन न छोड़ेंगे, कभी दर से न जायेंगे ,
नहीं हमको सताती अब‌ किसी भी हाल की चिन्ता ।
०००
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🍀🍀🍀

Language: Hindi
162 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahesh Jain 'Jyoti'
View all
You may also like:
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अलसाई शाम और तुमसे मोहब्बत करने की आज़ादी में खुद को ढूँढना
अलसाई शाम और तुमसे मोहब्बत करने की आज़ादी में खुद को ढूँढना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दुल्हन एक रात की
दुल्हन एक रात की
Neeraj Agarwal
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ओसमणी साहू 'ओश'
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
SURYA PRAKASH SHARMA
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
**वसन्त का स्वागत है*
**वसन्त का स्वागत है*
Mohan Pandey
"रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
उपेक्षित फूल
उपेक्षित फूल
SATPAL CHAUHAN
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
करन ''केसरा''
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
फिर  किसे  के  हिज्र  में खुदकुशी कर ले ।
फिर किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले ।
himanshu mittra
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
शेखर सिंह
हमारे हौसले तब परास्त नहीं होते जब हम औरों की चुनौतियों से ह
हमारे हौसले तब परास्त नहीं होते जब हम औरों की चुनौतियों से ह
Sunil Maheshwari
शोर से मौन को
शोर से मौन को
Dr fauzia Naseem shad
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
*आम आदमी क्या कर लेगा, जब चाहे दुत्कारो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
* मन बसेगा नहीं *
* मन बसेगा नहीं *
surenderpal vaidya
भोर के ओस!
भोर के ओस!
कविता झा ‘गीत’
आवारा परिंदा
आवारा परिंदा
साहित्य गौरव
सुनो मोहतरमा..!!
सुनो मोहतरमा..!!
Surya Barman
2722.*पूर्णिका*
2722.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
और क्या ज़िंदगी का हासिल है
और क्या ज़िंदगी का हासिल है
Shweta Soni
*** सैर आसमान की....! ***
*** सैर आसमान की....! ***
VEDANTA PATEL
मैं लिखती नहीं
मैं लिखती नहीं
Davina Amar Thakral
■ दुर्भाग्य
■ दुर्भाग्य
*प्रणय प्रभात*
आईना
आईना
Sûrëkhâ
हमें रामायण
हमें रामायण
Dr.Rashmi Mishra
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...