Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2024 · 1 min read

तुम हो एक आवाज़

तुम हो एक आवाज़
कोई अक्स नहीं
रहती हो बस गूंजती

वो सुगंध हो
जो है हर कैद से परे
बस एक सांस भर में
मेरे अंतर तक हो समाती

छलिया भी हो
छलती हो जब साथ सांस के
बाहर निकल हो जाती

मुलायम हो
जब बारिश की फुहार सी कोमल
कपोल को चूमती हो

कभी गरम उड़ती रेत सी हो लगती
कभी पेड़ की छावं सी शीतल
जो रूठती हो कभी तो
मरुस्थल सी तुम हो जाती

जैसी भी हो “ज़िन्दगी
तुम सुगंध हो मेरी
हर भी कैद से परे

अतुल “कृष्ण”

Language: Hindi
76 Views
Books from Atul "Krishn"
View all

You may also like these posts

हौसला रखो
हौसला रखो
Dr. Rajeev Jain
King of the 90s - Television
King of the 90s - Television
Bindesh kumar jha
करते है शहादत हम
करते है शहादत हम
योगी कवि मोनू राणा आर्य
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - पूर्व आयुष निदेशक - दिल्ली
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - पूर्व आयुष निदेशक - दिल्ली
DR ARUN KUMAR SHASTRI
4410.*पूर्णिका*
4410.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आपस में क्यों बैर परिंदे।
आपस में क्यों बैर परिंदे।
पंकज परिंदा
मैंने देखा है ये सब होते हुए,
मैंने देखा है ये सब होते हुए,
Jyoti Roshni
परवर दीगार
परवर दीगार
Usha Gupta
आज की शाम।
आज की शाम।
Dr. Jitendra Kumar
प्रेम बसा कण कण में
प्रेम बसा कण कण में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
हाथ छुड़ाने की कथा
हाथ छुड़ाने की कथा
पूर्वार्थ
जिसके भीतर जो होगा
जिसके भीतर जो होगा
ruby kumari
"आजादी के दीवाने"
Dr. Kishan tandon kranti
तकलीफ इस बात की नहीं है की हम मर जायेंगे तकलीफ इस बात है की
तकलीफ इस बात की नहीं है की हम मर जायेंगे तकलीफ इस बात है की
Ranjeet kumar patre
कामयाब लोग,
कामयाब लोग,
नेताम आर सी
प्यार समर्पण माँगता,
प्यार समर्पण माँगता,
sushil sarna
वाह रे जमाना
वाह रे जमाना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*मेरी रचना*
*मेरी रचना*
Santosh kumar Miri
जब बचपन में स्कूल की कॉपी में Good या A मिलता था, उसकी ख़ुशी
जब बचपन में स्कूल की कॉपी में Good या A मिलता था, उसकी ख़ुशी
Lokesh Sharma
जीवन का मकसद क्या है?
जीवन का मकसद क्या है?
Buddha Prakash
कलश चांदनी सिर पर छाया
कलश चांदनी सिर पर छाया
Suryakant Dwivedi
आँखें (गजल)
आँखें (गजल)
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
वन्दे मातरम् ( घनाक्षरी छंद)
वन्दे मातरम् ( घनाक्षरी छंद)
guru saxena
कुछ किताबें और
कुछ किताबें और
Shweta Soni
एक आरजू
एक आरजू
लक्ष्मी सिंह
जब चांदनी रातों मे
जब चांदनी रातों मे
कार्तिक नितिन शर्मा
एक
एक
*प्रणय*
उस मुहल्ले में फिर इक रोज़ बारिश आई,
उस मुहल्ले में फिर इक रोज़ बारिश आई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...