तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो…..
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो
तुमसे ही खुशियाँ सजती हैं।
प्रणय पुष्पित स्पर्श तुम्हारा
है सिंदुरी माथे की बिंदिया।
अधरों पर लाली सुन प्रियतम,
मुस्कान तुम्हारी से सजती है।
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो
तुमसे ही खुशियाँ सजती हैं।
सुबह सुनहली लिए लालिमा
माँग मेरी तुम नित भरते हो।
रैन कारी कजियारी तुम संग,
मेरी अँखियन में सजती है।
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो
तुमसे ही खुशियाँ सजती हैं।
मीत प्रीत का रंग तुम्हारा
मेरी हथेलियों पर मेहंदी।
सच्चे-झूठे वादों से तुम्हारे
दिव्य मणि नथनी रजती है।
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो
तुमसे ही खुशियाँ सजती हैं।
कानों में मधुरिमा घोलती
बतियाँ तेरी झुमके सी झूमें।
छेड़-छाड़ लिए हँसी-ठिठोली
कंगन-पायल बनकर बजती है।
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो
तुमसे ही खुशियाँ सजती हैं।
जैसे महावर रचे पैर हों ऐसा ही
पग-पग पर पिया साथ तुम्हारा।
#करवा_माँ रखें प्रीत शाश्वत
बिछिया बन माँ से विनती है।
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो
तुमसे ही खुशियाँ सजती हैं।
नीलम शर्मा ✍️