तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें।
तुम वैसे नहीं हो वफ़ा, जिसपे हम एतबार करें।।
तुम वह दिल नहीं हो—————————।।
यह तुम्हारा रूठना, पसंद हमको नहीं है।
तुमको मनाने की फुरसत, हमको नहीं है।।
तुम नहीं हो वह मूरत, जिसका हम इसरार करें।
तुम वह दिल नहीं हो———————।।
कहो ऐसी क्या खतायें, हमसे हुई है।
दूरियाँ तुम्हारी क्यों, हमसे ऐसे हुई है।।
तुम नहीं हो वह हमराह, जिसका हम इंतजार करें।
तुम वह दिल नहीं हो———————-।।
क्या कभी भी तुमको खुशी, हमने नहीं दी है।
लेकिन कभी क्या हमको, तुमने इज्जत दी है।।
तुम नहीं हो वह हमदर्द, जिससे हम इजहार करें।
तुम वह दिल नहीं हो———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)